अपने-अपने इन्द्रधनुष (5) ’’ एक नीम का वृक्ष था। उस पर एक कौआ रहता था। एक दिन उसे प्यास लगी.......’’ काॅलेज की कैंटीन के सामने से गुज़रते हुए मैंने देखा कि कैंटीन की दीवार से सट कर बैठा महुआ का बेटा झूम-झूम कर प्यासा कौआ की कहानी पढ़ रहा था। मैं बरबस उसकी तरफ देखने लगी। मुझे अपना बचपन याद आ गया। तब मैं बहुत छोटी थी। स्मृतियाँ धुँधला गई हैं, किन्तु कुछ-कुछ याद आ रहा है। कदाचित् मैं पहली या दूसरी कक्षा में पढ़ती थी। हिन्दी की पुस्तक में प्यासा कौआ की कहानी बचपन की मेरी प्रिय कहानी हुआ