जय हिन्द की सेना - 11

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जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म ग्यारह नीले आकाश के नीचे अपने हवेलीनुमा घर की सबसे ऊँची छत पर श्वेत साड़ी में दरी के ऊपर बैठी शृंगार रहित होने पर भी गौर वर्ण उमा साक्षात्‌ परी लग रही थी। निकट से आकर ही कोई उसके दुर्भाग्य को जान सकता था। उसके चारों ओर दरी पर विभिन्न धार्मिक पुस्तकें रखी हुई थीं। इस समय उसकी गोद में ‘श्रीमद्‌भगवद्‌ गीता' खुली रखी थी जिसके अध्ययन में तल्लीन उमा इस समय किसी शांत साध्वी से कम नहीं लग रही थी। विस्तृत छत पर दूर तक सूखने के लिए फैले गेंहूँ दिन भर सूर्य