आखिरी खत

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आखिरी खत राजा सिंह शशि ! तुम्हारी शादी का कार्ड मेरे सामने है। और मैं कार्ड में उभरते तुम्हारे उषाकाल की तरह सुन्दर अक्श को निहार रहा हूॅ जो कि हर पल डूबता एवं उतरता सा लग रहा है। या फिर ये भी मेरी गलतफहमी हो जैसे अभी तक थी कि तुम मुझसे रूठी होगी न कि कुपित और देर-सबेर मे तुम्हें मना लॅूगा। परन्तु मेरी समस्त सम्भावनाओं को निरस्त करता हुआ ये कार्ड मेरे दिल को करोंच-करोंच कर बाहर निकाल रहा है। शशि, काश ! शादी के कार्ड में तुम्हारे साथ मेरा नाम होता............ लेकिन नहीं। ऐसा न होने