निपुणनिका--भाग(४)

(15)
  • 20.1k
  • 3
  • 11.5k

मौसी के बड़े-बड़े नाखून वाले गंदे हाथ देखकर मैं बहुत डर गया,वो अचानक बढ़ने लगी,उसका सर कोठरी की छत से छूने लगा, उसने जैसे ही मुझे हाथ लगाया, उसके हाथ से धुआं निकलने लगा,शायद फकीर बाबा के ताबीज की वज़ह से,वो जोर से चीखी, उसकी चीख इतनी तेज थी कि सब चीख सुनकर नीचे आ गए, मैं डर के मारे कोठरी से आंगन की तरफ भागा,सब आंगन में आए और मनोज भी,वो सर्र से बाहर आंगन में आ गई और मनोज की गरदन पर अगल-बगल दोनों टांगें लटकाकर बैठ गई। और बोली तू ही है ना,जो उस रोज मेरे चंगुल