धुयें का असर होते ही सुनील को बेहोशी सी आने लगी और उसका शरीर ढीला पडने लगा | “ बोल ......कौन है तू.......कौन है तू...और कहां से आई है ..बता वरना बच नही पायेगी....., बोल आखिर कौन है तू....क्या चाहती है सुनील से .....” बाबा सुनील से लगातार पूछे जा रहे थे और सुनील धुयें के नशे मे खोता जा रहा था, पूरा कमरा धुयें से भर चुका था, सरला मुंह फैलाये बाबा को देख रही थी | धुयें की बेहोशी मे सुनील पिंकी के खयालों मे खो गया और उसे ऐसा महसूस होने लगा कि वो अपनी पिंकी के बाहों मे