वैज्ञानिक मुनि अगस्त्य विध्याचत पार करके समुद्र तट को जाने के लिए निकले मुनियों का एक काफिला विध्याचल से वापस लौट आया और मुनियों के इस काफिले ने त्रयम्बकेश्वर महादेव की पूजा करने हेतु बिश्राम किया । सुबह जब वे अगस्त्य मुनि के आश्रम में सतसंग हेतु गये तो उन्होने अपनी पीड़ा कह सुनाई। किंवदंती है कि विंध्याचल पर्वत रात दिन बढ़ता जारहा था इतना कि हिमालय से उतर कर दक्षिण दिशा में समुद्र तट तक जाने वाले ऋशि मुनि और दूसरे तीर्थ यात्रियों को विध्याचल पार करके उस पार जाना दुर्गम होने लगा था । उन्होनंे तुरंत ही