अंक- तीसरा /३ अदिती- आलोक, दो दिन बाद डेल्ही में मेरे एन.जी.ओ. की एक जरुरी मुलाकात है, पापा के एक अज़ीज़ दोस्त और फॅमिली सदस्य जैसे अंकल और उनके कुछ दोस्त इस एन.जी.ओ. के नयी परियोजना की वितीय योजना के लिए ऑस्ट्रेलिया से आ रहे है, बहोत ही कम वक़्त में मुझे ढेर सारी तैयारिया करनी है, और मैं इस परियोजना की मुख्य प्रभारी हूँ , सिर्फ तिन दिन में पुरे परियोजना की डिजिटल मिडिया मंच से ले कर प्रिंट मिडिया तक की ब्ल्यूप्रिंट मुझे ही तैयार करनी है।अदिती को लगा की आलोक कुछ पूछना चाहता है, पर चुप है, इसलिए