उम्मीदों का पेड़ - 2 - पतझड़

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माधव खून से लथपथ बेजान पड़ा था, जमीन भी शोक में लाल हो गई थी, भयावह दृश्य था। देखते ही देखते माधव के चारों ओर भीड़ इकट्ठा हो गई, पर किसी में पास जाने की हिम्मत न थी। भीड़ में से ही एक आवाज आई, "अरे एम्बुलेंस को फोन करो कोई"। ठेकेदार को जब यह खबर मिली, उसने तुरंत अस्पताल फोन कर एम्बुलेंस बुलाई और घटनास्थल पर खुद भी पहुँच गया। वो माधव के करीब गया, उसकी नाक के पास हाथ ले जाकर सांसें महसूस करने लगा, कुछ बची हुई थी अभी भी। दस मिनट के अंदर एम्बुलेंस भी आ