हरी चूड़ियाँ

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शब्बीर चच्चा आज जैसे बाजार से घर आये..बच्चों ने रोज की तरह घेर लिया..'मेरे लिये क्या है-मेरे लिये क्या है' रोज की तरह थैले को खींचने की होड़ लगने ही वाली थी कि चच्चा ने डाट दिया.."चलो फूटो सभी.. अभी जो जिसका होगा ,सभी को दादी देंगी " कहते हुये थैला चच्ची को पकड़ा दिया..और खुद बाहर वाले बरामदे के अपने कमरे में चले गये..आज यह पहला अवसर था कि चच्चा ने बच्चों को डाटा था..बच्चों के साथ घर के सभी बड़े भी आश्चर्य में थे..जब तक सारे बच्चे नही आ जाते थे चच्चा थैला सायकिल से उतारते ही