ख्वाब--------"मिसेज मेहरा ! आपने देखा.. सुमित्रा ने क्या किया ?"" हाँ मिसेज शर्मा.. ! मैं भी तो यही सोच रही थी कि आखिर उन्हें ऐसा करने की जरूरत ही क्या थी..? अपनी धर्म बिरादरी में ही कहीं कोई देख लेती..।""वही तो..! अच्छा चलो उनसे एक बार मिलकर तो आएं ! ""हाँ हाँ !..क्यों नहीं..?" शाम को सुमित्रा के घर की डोर बेल बजी । दरवाजा खोला तो सामने अपने मोहल्ले की कुछ औरतों को एक साथ देखकर मुस्कुराते हुए स्वागत किया ,"आइए..आइए..! बैठिए ..! मैं आप सब के लिए चाय पानी की व्यस्था करती हूँ। " कहते हुए सुमित्रा रसोई घर