तीन अफसाँचे

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रामराज★ (लघुकथा-1)"15 साल से निर्विरोध चुनकर आ रहा हूँ, इसबार कौन आ गया बे मेरे खिलाफ पर्चा भरने?"बाहुबली नेता अपने चमचों के बीच विदेशी सोफे पर अपना पहलू बदलते हुए बोले।"सरकार! स्वर्गीय जानकीप्रसाद की मेहरारू है, सामाजिक कार्यों से जुड़ी है।"मेघू ने शीश नवाकर उत्तर दिया ।"हरामखोरों तो डरा काहे रहे हो ? ज्योतिष ने बोला था न मेरे राज का अंत 'राम' ही कर सकते है।अब भगवान कब से औरत का अवतार लेने लगे? हा... हा.. हा!"नेता का अट्टहास उसके राजदरबार रूपी घर में गूंजने लगा ।"लेने लग गए है नेता जी! क्योंकि अब रावण नपुसंको के रूप में