आखा तीज का ब्याह - 6

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आखा तीज का ब्याह (6) ‘वासंती’, प्रतीक की आवाज से वासंती चौंक पड़ी, उसे अपनी विचार श्रंखला में यह खलल पसंद नहीं आया, उस दिन वह दोहरा सफर कर रही थी, उसका शरीर भले ही कार में सबके साथ था पर उसका मन अतीत की गलियों घूम रहा था उसने सवालिया निगाहों से प्रतीक की ओर देखा, ‘चलो चाय पीते हैं, थोड़ा आराम भी हो जायेगा,’ प्रतीक ने गाड़ी एक ढाबे पर रुकवा ली थी ढाबे पर प्रतीक ने वन्या के साथ खूब मस्ती की, वन्या ने साथ तो वासंती का भी चाहा था पर उस दिन वासंती कहीं और