मेरे घर आना ज़िंदगी - 15

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मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (15) जब राजस्थानी सेवा संघ की स्वर्ण जयंती भाईदास हॉल में मनाई जा रही थी तब माया गोविंद और गोविंद जी से चाय के दौरान पता चला कि वे माया गोविंद पर एक किताब तैयार कर रहे हैं । सृजन के अनछुए प्रसंग जिसमें माया जी से जुड़े साहित्यकारों, पत्रकारों और फिल्मी दुनिया के लोग संस्मरण लिख रहे हैं। आप भी लिखिए न हाँ मैं जरूर लिखूंगी गोविंद जी। आखिर मैं माया जी की बिटिया हूँ। (वे मुझे बिटिया कहकर संबोधित करती थीं ) मैं उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर लिखूंगी। इस पुस्तक