कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 18 तो फिर मैं क्या करूँ बताइए। मेरे भी तो बेटी को लेकर कई अरमान हैं, सरोज आँखों में आँसू भर कर बोली। इस माहौल में पले-बढ़े बच्चों के लिए यह आँसू बहाना सब पुरानी और इमोशनल ब्लैकमेल की बातें हैं। जमाना बड़ी तेजी से बदल रहा है सरोज। यदि हम भाग नहीं सकते तो जमाने के साथ चल तो सकते हैं। वो हमारे बच्चे हैं जी। उनका भी तो अपने माता-पिता के प्रति कोई कर्तव्य है या नहीं... जरूर है... सुरेश भाई प्यार से पत्नी के गालों पर ढुलकते आँसू पोंछते हुए बोले...