गूंगा गाँव - 9

  • 6.8k
  • 2
  • 1.8k

गूंगा गाँव 9 पूँजीवादी व्यवस्थाके नये-नये आयाम सामने आते जा रहे हैं। रुपये का मूल्य गिरता जा रहा है। डालर की कीमत बढ़ती जा रही है। महगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इधर सभी धर्म वाले अपने-अपने धर्म में चारित्रिक गिरावट महसूस कर रहे हैं। इसी कारण कुछ लोग संस्कृति की रक्षा की आवश्यकता अनुभव करने लगे हैं। इससे निजात पाने राष्ट्रबाद की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कुछ धर्म को महत्व देकर देश को बचाने की बात कह रहे हैं। इसके बावजूद शोषण के खून के धब्बे ऊपर झाँकने लगे हैं। रहीम कवि ने सच ही कहा