अनैतिक - ०७- दिल्लगी

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घर बस अब एक गल्ली की दूरी पर था, जैसे जैसे घर करीब आता वैसे दिल की धड़कने तेज़ हो रही थी, ये पहली बार था स्कूल के बाद मुझे किसी से इतना डर लगा हो. मै घर पर आ गया और बाइक पार्क ही कर रहा था की मुझे कशिश घर से जाते हुए दिखी और वो मुझे देख कर ऐसी हँसी दे रही थी मानो उसने कोई बाजी जीत ली हो...मै समझ गया अगर मै अभी अन्दर गया तो मुझे थोड़ी देर बाद हॉस्पिटल ही जाना पड़ेगा, मैंने बाइक धीरे से फिर बाहर निकली और सोचा थोडा रुक