मजहब

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शाम के छहः बज रहे हैं । पार्क में एक लड़का बैठा है सीट पर तभी पीछे से एक लड़की आकर उस लड़के के बगल में बैठ जाती हैं ।लडके का नाम अर्पित हैं और लडकी का शबाना ।ये दोनों अलग अलग मजहब के हैं जो इनके पहनावे से छलक रहा है लड़का हिदूं हैं और लड़की मुस्लिम"ये जाड़े की तड़तड़ाती शाम और उस पर तुम्हारा इंतजार हाये जान निकाल देता है मेरी।" अर्पित ने कहा । " अच्छा इतना मसका क्यों लगाया जा रहा है मुझे? " शबाना मुंह बनाते हुए बोली "समझदार हो समझ जाओ!"अर्पित ने शबाना के कंधे पर