#अहिल्या_तारा_द्रौपदी_कुन्ती_और_मंदोदरी,#पंचकन्या_महारत्ने_महापातक_नाशनम......अर्थात नित्यप्रति पंचकन्याओं का नाम स्मरण करने से महापाप का भी नाश हो जाता है।#अब_आगे_पढिये...... गौतम ऋषि के श्राप से अहिल्या पत्थर की शिला बनकर भगवान श्रीराम का आतिथ्य करने की प्रतीक्षा करने लगीं। जब महाऋषि विश्वामित्र ताड़का वध के लिए राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले गये तभी उन्होंने राम और लक्ष्मण को कई दिव्य अस्त्र भी प्रदान किये और उन्होंने अहिल्या का उद्धार भी कराया। वो राम को पत्थर की शिला बन चुकी अहिल्या के पास लेकर गये। भगवान श्री राम के चरण स्पर्श होते ही अहिल्या अपने पूर्व रूप में (16 वर्ष की युवती) आ गईं।