समय के गर्भ में राजेश मलिक पृथ्वी की डोर आसमान के हाथ में थी। वह जिसे चाहे इधर और जिसे चाहे उधर कर दें। पृण्य घट और पाप बढ़ रहा था। मुल्क, ज़मीन, परिवार कई हिस्सों मेंबट गये थे। चारों तरफ़ लूटमार, हत्या, बलात्कार, भ्रश्टाचार, दंगा-फंसाद का रहा था। बाप बेटी क