छूना है आसमान - 4

  • 8.4k
  • 1
  • 2.4k

छूना है आसमान अध्याय 4 रोनित के पूछने पर चेतना ने बताया, ‘‘कल वह पार्क में खेल रहे बच्चों को देखकर उनमें इस कदर खो गयी कि उसे इस बात का जरा भी अहसास नहीं रहा कि वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती है और न ही चल-फिर सकती है। पार्क में काॅलोनी के बच्चों को खेलते हुए देखकर, वह ऐसा महसूस करने लगी, जैसे वह उन्हीं के साथ खेल रही हो। वह उनके साथ खूब तेज-तेज दौड़ रही हो......काॅलोनी के सारे बच्चे उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग रहे हों। वह कभी इस तरफ भाग रही