ज़लज़लानीला ने जब आँखें खोली तो विकास को अपने पास ही बैठे पाया । नीला को होश में आते देखकर विकास ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए चिरपरिचित अंदाज में कहा, ‘बधाई हो नीला, आपरेशन सफ़ल रहा, डाक्टर ने कहा है कि तुम शीघ्र ही ठीक हो जाओगी ।’विकास की बातें सुनकर नीला ने पुनः आँखें बंद कर लीं...।उसे विकास की सहानुभूति खोखली लग रही थी...। अब उसमें रह ही क्या गया है...? उसने तो इस आपरेशन के लिये मना किया था...ऐसे आधे अधूरे शरीर वाले जीवन से क्या लाभ ? ऐसे जीवन से तो मर जाना ही