कहानी अनोखी परंपरा सुधा भार्गव पति के सेवानिवृत होने के बाद रुकमनी ने बड़े शौक से विशाल बंगला बनवाया । साथ मैं बहू बेटे रहते थे। रिश्तों में आनंदधारा अविरल बहती थी। मुश्किल से 4-5 वर्ष ही उसने इस भवन मेँ बिताए होंगे कि पति की हृदयगति रुक गयी। वे इस संसार से विदा हो गए। वह रोती कलपती रही पर विधाता के कठोर नियम के आगे तो सिर झुके रहते हैं। उसे बैराग्य सा हो गया। बहू बेटे के जिम्मे घर गृहस्थी छोड़कर उसने गाँव मेँ बसने का इरादा कर लिया। गाँव मेँ उसके वृद्ध सास