साक्षात्कारराइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री किसी पारिवारिक सीन में नहीं अटती – सपना सिंह राइटिंग टेबल पर बैठी स्त्री किसी पारिवारिक सीन में नहीं अटती - सपना सिंह सपना सिंहसपना सिंह ने इधर अपनी कहानियों से हिन्दी कथा साहित्य प्रेमियों का ध्यान खींचा है। अपने आस पास के समान्य से चरित्रों को लेकर वह कथा का वितान रचती हैं और अपनी सूक्ष्म दृष्टि से उस पात्र के मार्मिक पक्ष को उभारकर पाठक के समक्ष रख देती हैं। उनकी कहानियों में पाठक भी एक पात्र की तरह कहानी के साथ सफर पर होता है। कैमरे की तरह दृश्य पकड़ती हैं उनकी कहानियां और