अनैतिक - ०५ जागने की रात

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काम ज्यादा होने के वजह से मै रोज सिर्फ थोड़ी देर ही खेल पाता. कभी कभी तो एक गेम खेलने को भी वक़्त नही मिलता था ऐसे ही कुछ दिन गुजरे.. अब मै पूरी तरह गेम समझ गया था और ज्यादातर गेम जितने लगा, रात को भी नींद ख़राब करके खेलने लग गया था शायद गेम का नशा छा रहा था, पैसे तो कुछ मिल नही रहे थे पर जैसे जैसे गेम जीतता गया मुझे ऐसा लगने लगा की इस गेम का अपुन भगवान् है . अब हर जगह जब भी खाली वक़्त मिलता बस खेलता रहता, इसी बिच