वृक्षराज

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वृक्षराज कल रात मुझे अमृतसर का अपना पुराना पीपल फिर दिख गया| हूबहू वैसा ही, जैसा लगभग पचास वर्ष पूर्व हम पीछे छोड़ आए थे और जिसके काटे जाने पर वहां हुए हंगामे की खबर के साथ मैं पिछली रात सोने गयी थी| साथ ही दिख गयी तिमंजिले अपने किराए के मकान की तीसरी मंजिल वाली वह खिड़की, जहाँ से माँ की संगति में हम भाई बहन ने उस चीनी मिल को धराशायी होते हुए देखा था जहाँ हमारे पिता रसायनज्ञ थे| वह मिल अमृतसर के औद्योगिक क्षेत्र, छहरटे, में स्थित थी| खांड वाले चौक के अंदर| जिसके ऐन सामने