रोग से कुश्ती लड़ोगे

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आदत बदलेंः रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें राजनारायण बोहरे: हम लोग माउंट आबू के गुरु शिखर की चढ़ाई पर थे और अनुभव कर रहे थे कि जितनी फुर्ती से हम पति-पत्नी पर्वत पर चढ़े चले जा रहे हैं उतनी हमारे बच्चों में नहीं दिख रही है । वे बार-बार रुक जाते और सांस फूलने जैसा हाव भाव प्रकट करते । हम उन पर खूब हंसते । बात हंसने की नहीं है आज के किशोर और युवा कहने भर को नौजवान देखते हैं , अन्यथा वे दिखने में इसी अधेड़ उम्र के