मुखौटा - 6

  • 6.2k
  • 1
  • 2.2k

मुखौटा अध्याय 6 टिकट लेकर जब हम थिएटर में घुसे तो देखा पिक्चर शुरू होने में अभी देरी थी। बाहर, यहाँ-वहां युवक और युवतियां झुण्ड बनाकर खड़े बातों में मशगुल थे. किसी ने नलिनी को देखकर हाथ हिलाया। "अभी आती हूं दीदी, तुम अंदर जाकर बैठो।" कहकर उसने एक टिकट मुझे पकड़ा कर ये गई वो गई । मैं थिएटर के अंदर चली गई। अपनी सीट ढूंढ कर बैठते समय मेरे पैर ठिठक गए । मेरी अगली सीट पर से कृष्णन की धीमी आवाज़ मेरे कानों से टकराई, "हेलो मालिनी" ! मेरा शरीर जैसे लोहा बनकर कस गया। खून मेरे