बेशर्मथियेटर से बाहर निकलते ही, पूर्णिमा की नजर बाहर खड़े विनोद पर पड़ी, और वह उसे देखती ही रह गयी। कितने दिन बाद देखा था उसने विनोद को। उसकी अनुपस्थिति की टीस फिर मचलने लगी। उसके मन में न तो नफरत का भाव आया और न ही कठोरता का। सारा आक्रोश बर्फ की सिल्ली हो गया और वो जोर से चिल्ला उठी.."विनोद..तुम...तुम यहाँ कैसे..? ? ? जरुर मुझसे मिलने आये होगे..? मैं जानती थी कि तुम मेरे पास जरूर आओगे.....तुमने मेरे शो के बारे में पता किया होगा...? ? ?”पूर्णिमा एक साँस में बोलती चली गई। विनोद आवाक सा उसको देख