अनैतिक - ०४ पुरानी यादें

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ना कोई भाई ना ही बहन बस अकेला था इसीलिए कोई साथ खेलने वाला नहीं था तो कभी कभी पापा के मोबाइल में भी अक्सर लूडो खेला करता, मैंने गेम की सारी सेटिंगस कर दी थी अब बस खेलना शुरू करना था की तभी.. डोर बेल बजी, माँ काम में वस्त थी और पापा तो फिर पापा थे तो जाना मुझे ही पड़ा, जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला- "हाय रोहन तुम? वॉट ए सरप्राइज? कब आये? कितने दिनों बाद देखा है तुम्हे..." हाय रीना ....कैसी है तू ...बस २-३ दिन पहले ही आया हूँ... और हम दोनों एक दुसरे के गले लगे, मेरा ध्यान