कुछ कुछ होता था

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कुछ कुछ होता था...ये कहानी एक डरी-सेमहि सी लड़की यानी मेरी है...आप कहानी मे प्रारंभ से अंत तक बने रहिए आप समझ जायेंगे title का राज.... खुद पे भरोशा रखो तुम सब कुछ कर सकती हो..आत्मविश्वास बनाये रखो....ये चीज़े जब तुम ज़िन्दागी की राह में एकली हो जाओगी तब तुह्मे काम आएगी.... खुद पे भरोशा रखो...ये बात सुने में बहोत अच्छी लगती है...लेकिन जब हम ऐसी लड़की के बारे में सोचे जिसे खुद पे भरोशा ही न हो...मतलब उसमे आत्मविश्वास यानी पत्तों का महेल... जो हवा की