योका के पीछे चलते हुए नूपुर ने योका से पूँछा-"यहां बस्ती में आदमी नहीं रहते?""रहते हैं.""दिखाई तो दिये नहीं.""दिन में आदमी शिकार करने चले जाते हैं. बच्चे ,स्त्री ,बूढे खेतों में."योका ने बताया."तुम और देवता भाई नहीं गये?""मुझे शिकार से घृणा है. देवता भाई को काम करने की जरूरत नहीं है.""ऐसा क्यों?""मुझे निर्दोष जीवों की हत्या करना पंसद नहीं. देवता भाई को बस्ती वाले जरूरत की चीजें पहुंचा देते हैं."योका ने बुरा सा मुँह बनाकर कहा. योका का बुरा सा मुँह देखकर नूपुर ने आगे बात नहीं की .वह चुपचाप योका के पीछे चलती रही."लो,यही हैं, देवता."एक ऊँचे टीले