एक मुट्ठी इश्क़--भाग (९)

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ज्यों ज्यों जीनत़ के प्रसव के दिन करीब आ रहेंं थे,सबका मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा था,फात़िमा और इख़लाक, भरपूर कोशिश कर रहे थे कि जच्चा और बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहेंं,दोनों ही जीनत़ का खास ख्याल रख रहे थें, दोनों के मन में डर था कि पराई अमानत है,सब कुछ अच्छी तरह से निपट जाए।। इधर जीनत़ भी अपनी इस हालत को लेकर बहुत संजीदा थी,उसे कभी कभी इस हालत पर तरस भी आता और कभी कभी गुस्सा भी आता,वो कुछ सोच ही नहीं पा रही थी कि अब उसकी जिन्दगी कौन सा मोड़ लेने वाली थी,वो दुनिया