अपने-अपने इन्द्रधनुष (2) शनै-शनै काॅलेज की दिनचर्या में मैं व्यस्त होने लगी। मन को नियत्रित करना व तनाव भरी घटनाओं को विस्मृृत करना मै सीख गयी हूँ । ये तो छोटी-सी घटना है। मैं अत्यन्त पीड़ादायक घटनाओं से उबर चुकी हूँ। प्रतिदिन की भाँति आज भी मैं काॅलेज जाने के लिए समय पर घर से निकली थी। सड़क पर हाथ दे कर आॅटो रोका। चन्द्रकान्ता उसी आॅटो में पहले से बैठी थी जिसे मैंने रूकने के लिए हाथ दिया था। आॅटो में चन्द्रकान्ता को पहले से बैठा देख मुझे अच्छा लगा। चन्द्रकान्ता मेरी मित्र है। वह और मैं एक ही