राम रचि राखा - 5 - 1

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राम रचि राखा मुझे याद करोगे ? (1) "आनंद, आओ दूध पी लो” रुचि ने बाल्कनी से जोर से आवाज लगाई। शाम के लगभग सात बजने वाले थे। सूर्य डूब चुका था। पश्चिमी क्षितिज पर लालिमा बिखरी हुई थी। बाहर अभी उजाला था। चारो तरफ बने मकानो के बीच छोटे से पार्क में बच्चे खेल रहे थे। उनमें आनंद भी था। "अभी आता हूँ...।“ आनंद ने रुचि की ओर देखे बिना ही उत्तर दिया और खेलना जारी रखा। "जल्दी आ जाओ...।“ कहकर रुचि अंदर चली गई। रूचि के बुलावे से आनंद समझ चुका था कि उसके खेल का समय अब समाप्त