स्त्री जीवन के दो अहम पड़ाव होते हैं-प्रथम रजोदर्शन, द्वितीय रजोनिवृत्ति।एक के बाद प्रकृति स्त्री को मातृत्व वहन करने की क्षमता प्रदान करती है एवं रजोनिवृत्ति के पश्चात प्रजनन क्षमता की समाप्ति हो जाती है।रजोनिवृत्ति 50-60 वर्ष की आयु के मध्य कभी भी हो सकती है।कभी कभी इसके पूर्व भी हो जाती है। इन दोनों ही प्रक्रियाओं के पूर्व एवं पश्चात शरीर में तमाम शरीरिक तथा मानसिक परिवर्तन होते हैं।वैसे तो इनका विस्तृत वर्णन इंटरनेट एवं पुस्तकों में उपलब्ध है।मैं आज एक महिला के व्यक्तिगत अनुभव एवं मनःस्थिति को शब्द देने का प्रयास कर रही हूं। मैं उम्र