ऊपर पहुंच कर नूपुर ने झोपड़ी में झांका.झोपड़ी खाली थी.नूपुर अंदर चली गई. झोपडी में कुछ मिट्टी और पत्थर के बर्तन रखे थे. उसने एक बड़े से मिट्टी के बर्तन को खोलकर देखा. उसमें उबला हुआ चावल था.चावल देखकर नूपुर को भूख लग आई.उसने थोड़ा सा चावल मुँह में डाला. चावल मीठा था.नूपुर जल्दी -जल्दी बहुत सारा चावल खा गई. चावल जायदा स्वादिष्ट न था.फिर भी इतना बुरा नहीं था कि खाया न सके . पेटभर चावल खाने के बाद नूपुर झोपड़ी की तलाशी लेने लगी.झोपड़ी मे बर्तन के अलावा तीर कमान, कुल्हाड़ी, भाले आदि थे.पूरी झोपड़ी