छूना है आसमान - 2

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छूना है आसमान अध्याय 2 खिड़की के पास व्हील चेयर पर बैठी चेतना चेयर पर बैठे-बैठे खूब ऊपर को उछल रही है और जोर-जोर से ताली बजा-बजाकर कह रही है, ‘‘गिर पड़े....षेम......षेम......गिर पड़े......। उछलते-उछलते उसका संतुलन बिगड़ जाता है और वह कुर्सी से नीचे गिर जाती है। गिरते समय उसका हाथ मेज पर रखे काँच के गिलास से टकराता है, तो गिलास नीचे जमीन पर गिरकर टूट जाता है। गिलास के गिरने और टूटने की जोरदार आवाज होती है, उस आवाज को सुनकर उसके मम्मी-पापा व उसकी छोटी बहन अलका एकदम चैंक जाते हैं और जल्दी से उसके कमरे में