पोषम्पा

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पोषम्पा भई पोषम पा,सौ रुपये की घड़ी चुराई दो रुपये की रबड़ी खाई,अब तो जेल में जाना पड़ेगा। जेल की रोटी खाना पड़ेगा,जेल का पानी पीना पड़ेगा अब तो जेल में जाना पड़ेगा।  ये प्यारी तोतली भाषा वाक़ई मन को जीत लेते है,कितना रस भरा होता है इन तोतली भाषा मे की चेहरे पर मुस्कान कुछ यूं बिखेर देता है मानो सूर्य की किरण बिखर रही हो। बहुत खूब बच्चो आपने तो मेरे पुराने पल याद दिला दिए। वरना शहर में कहा ये सब देखने को और सुनने को मिलता है। वहाँ की दुनिया तो बिल्कुल कैदी जैसी है।