अरमान दुल्हन के - 8

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अरमान दुल्हन के भाग 8सरजू ने डरते डरते भाभी से कहा -"भाभी वा (वो)कविता सै नै( है ना) ?""कोण (कौन) कविता ?""वा बूआ संतो की भतीजी""हां, फेर के(फिर क्या) था?""भाभी गुस्सा मत ना होईये। वा मन्नै घणी आच्छी लागै सै। मेरा ब्याह करवादे उसकी गैल(साथ) ।कसम तैं तेरे गुण कदे न्हीं भूलूँगा।""तैं मन्नै पिटवावैगा!!!""भाभी प्लीज़ ।"और भाभी के पांव पकड़ कर बूरी तरह से रोने लगता है। भाभी उसे चुप करवाती है और वादा करती है कि मैं कोशिश करूंगी।तुम्हारे भईया को आने दो उनसे बात करके देखती हूँ।शाम को सत्ते घर लौटता है तो सरजू की भाभी उन्हें खाना