जीवन में महाद्वीपीय विस्तार की कविता समकालीन, वर्तमान अथवा आज जैसे काल विभाजक शब्दों से समय की एक अवधि का बोध तो होता है पर ये शब्द समयके निश्चित आयाम का सीमांकन नहीं करते। वे भौतिक रूप से संख्यापरक शब्द हैं भी नहीं। ‘आज’ शब्द अपने लाक्षणिक अर्थ विस्तार में ऐसे पूरे प्रस्तुत समय को समेट लेता है जिसमें अतीत का उतना हिस्सा समाया है जिसकी संगति आज के साथ जुड़ी हुई है। यह आज कुछ वर्षों का भी हो सकता है और कई दशकों का भी। समय के परिमाप से अधिक वह उस संवेदन और उन सरोकारांे