दर्द.

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दर्द एक शहर में एक छोटा सा मोहल्ला था। जहाँ लगभग सब धर्मों और जातियों के लोग रहते थे। उन में एक परिवार था जिनके सदस्य लिलिपुट जैसे दिखते थे। उस परिवार में पति पत्नी और उनका एक लड़का था। उनके लड़के का नाम शम्मी था। शम्मी उच्च विद्यालय में आठवीं कक्षा में था। उसी मोहल्ले में एक लड़का था मिर्ज़ा। मिर्ज़ा दिखने में हट्टा-कट्टा था। मिर्ज़ा के पिता की मोहल्ले के मोड़ पर चाय की दुकान थी। मिर्ज़ा भी आठवीं में पढ़ता था पर किसी दूसरे विद्यालय में। मिर्ज़ा हर किसी से मज़ाक करता था और आते-जाते लोगों को तंग करता था। मिर्ज़ा के पिता उसे बहुत समझाते थे कि ऐसा मत किया कर बेटा, पर मिर्ज़ा मानने वाला नहीं था। उधर शम्मी के माता-पिता ने उसे अच्छे संस्कार दिए थे। शम्मी सबका आदर करता था जब भी कोई उसके