अंदर खुलने वाली खिड़की - 3 - अंतिम भाग

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अंदर खुलने वाली खिड़की (3) बीमारियों के मौसम में अक्सर बहुत लोग एक साथ मर जाते थे। इतने अधिक, कि श्मशान घाट की जमीन पर घंटो मुर्दे अपनी अपनी अर्थियों में पड़े रहते, खासतौर से गरीब मुर्दे। एक चिता से छूती हुयी दूसरी चिता जलती। अक्सर एक चिता की लपटें दूसरी चिता की लपटों में मिल जाती। देर से आने वाले अक्सर गलत चिता में शामिल होकर गमगीन चेहरे से मुर्दे के अच्छे दिन, उसके मन की बात और उसके कामों के बारे में आपस में फुसफुसाते हुए बात करते। मुर्दे इतने अधिक होते कि डोम, महापात्र घाट पर घूमते