यारबाज़ - 8

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यारबाज़ विक्रम सिंह (8) आज मैथ का एग्जाम था तो दोनों को दूध पीते हुए ही मिथिलेश्वर चाचा ने समझा दिया कि सोच समझ कर लिखना जो भी लिखना सही लिखना। सही मायने में वह नंदलाल को समझा रहे थे क्योंकि श्याम पर तो उन्हें भरोसा था। दूध पिलाने के बाद चाचा उनसे थोड़ा डंड पिलवाया करते थे। और उसके बाद फिर उन्हें स्कूल भेजते थे। खैर आज एग्जाम था इसलिए दोनों को कहा कि एक बार थोड़ा किताब खोलकर सरसरी नजर मार लो। खुद ध्यान की चाय की दुकान की तरफ चल दिए। क्योंकि ध्यान के पिता मिथिलेश्वर चाचा के परम मित्रों