भीगा बदन नम आँखें

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वह अकेली थी और वह तीन.सभी का बदन पानी में तर-बतर था.कपड़ों से पानी की बूंदें इस तरह टपक रही थीं ,जैसे पानी का टेप अधखुला रह गया हो. शाम का धुंधलका हो गया था. काले बादलों से घिरा आसमान रात होने का एहसास कराने लगा था.बारिश मूसलाधार हो रही थी. सड़क भी पानी से लबालब भरी थी.तेज हवा के साथ पेड़ मस्ती में झूम रहे थे.बारिश की बूंदें भी उनके साथ अठखेलियाँ कर रही थीं. वह पानी की बौछार से बचने के लिए बार-बार अपनी जगह बदल रही थी. उसने एकबार सड़क पर