इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (2) वह कभी समझ नहीं पायी कि वे अपनी खिड़कियां जानबूझ कर बंद नहीं करती थीं या भूल जाती थीं। कामना अपनी खिड़की पर बैठी टुकुर टुकुर उन तैयार होती महिलाओं को देखती रहती थी। सीढ़ियों में अंधेरा इसलिये होता कि ग्राहक पहचाने न जा सक