किरदार

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माँ का सपना बस पूरा ही होने वाला था, दो दिन बाद अंजुम की शादी जो थी। माँ ने अंजुम की शादी के लिए न जाने कितने खुआब बुन रखे थे। सब शादी की तैयारियों में जुटे हुए थे। माँ सब कुछ अंजुम की पसन्द का ही करना चाहती थीं। उसकी पसन्द के गहने, उसकी पसन्द का लहंगा, शादी के बाद पहने जाने वाली साड़ियां सब कुछ अंजुम की पसन्द का था पर फिर भी अंजुम के मुख पर उदासी क्यों छाई थी? अंजुम के माता-पिता उससे बेहद प्रेम करते थे, उसकी शादी में कोई कमी नहीं रखना चाहते थे।