मिखाइल: एक रहस्य - 16 - बदला -२

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रहीम को देख भैयाजी को अपना बरसो पहले किया हुआ कांड याद आ गया जिसमें उसने और उसके आदमियों ने मिलकर रहीम के दो दोस्त फरहाद और ज़फर को रहीम के सामने मौत के घाट उतार दिया था।"कैसे हो भैयाजी? सब ख़ैरियत?" रहीम ने घुटनो के बल बैठते हुवे भैयाजी से पूछा । रहीम के हाथ मे दरांती देखकर भैयाजी फिरसे एक बार छटपटाते हुवे खुदको रस्सियों के बंधन से आज़ाद कराने की कोशिश करने लगा, लेकिन ठीक पहले की तरह असफल रहा। कुछ क्षण बाद रहीम खड़ा हुआ और वो दरांती भैयाजी की गर्दन पर रख दी। "ठीक वैसी ही दरांती