अनैतिक - ०२ घर का प्यार

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"कितने कॉल करोगी माँ? घर पर तो तब ही आऊंगा ना तब टैक्सी लाकर छोड़ेगी", मैंने घर में घुसते हुए कहा..पर तूने तो एक भी कॉल नहीं उठाया? माँ की आंखों में खुशी थी और आंसू भी, अक्सर जब भी मै जर्मनी से आता या जाने के लिए निकलता तो माँ की ममता झलक ही जाती..हाँ, वो बैटरी लो हो गयी थी! अगर कॉल उठात तो फोन पूरा स्विच ऑफ हो जाता, वैसे रात के २:३० बज गए है आप अब तक जाग रही हो? मै आगे कुछ बोलू उसके पहले पापा कमरे में से निकलते हुए बोले..बेटा जब तू बाप