कौवा

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कौवा:कल १५ जुलाई १७ को, एक कौवे से अचानक भेंट हो गयी। बचपन में माता-पिता कहते थे ,आज कौवा काँव-काँव कर रहा है कोई अतिथि(पौंड़) आने वाला है।और जब भी कौवा काँव-काँव करता तो हम उम्मीद करते थे कि मेहमान आने वाला है। कितने मेहमान आये यह तो याद नहीं।आये या नहीं यह भी पता नहीं।लेकिन उस दिन हम रास्ते पर बार-बार देखते थे कि कोई अतिथि आ रहा या नहीं। पर कौवे के साथ यह परंपरा जुड़ी हुई है। लेकिन आज जो कौवे से सामना हुआ वह घर के सामने पेड़ पर बैठा था। जब में पेड़ के नीचे