यादों का सफ़र - 4

  • 6.8k
  • 1.9k

नवाज़ मेरी इस कहानी में हो सकता है कि मेरा किरदार थोड़ा चालकों वाला हो लेकिन मै ने सच में इस प्यार में कभी कोई चालाकी नहीं की मैं ने साफ दिल से प्यार किया हैमैं हमेशा देविका को देवी समझ कर उसकी पुजा की लेकिन जो मेरे बस में नहीं था उसके लिए मै क्या करता मै देविका के बिना नहीं रह सकता इस जीवन भर उसे भूल नहीं सकता प्यार करना कोई गुनाह नहीं होता है,अगर मेरा ब्याह हो चुका है तो क्या मेरा प्यार करने का अधिकार किसी और का हो गया मेरे पास दिल नहीं है उनमें